FASTag reward पहल: NHAI की नई स्वच्छता मुहिम — टोल प्लाज़ा पर गंदे शौचालय रिपोर्ट करें, कमाएँ ₹1,000
“सफाई अब सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, लाभ भी बन सकती है।”
इतनी बात अब खासी नहीं लगती, पर NHAI ने इसे हकीकत में बदलने की राह चुनी है। यदि आप राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाज़ा पर किसी शौचालय को गंदा पाते हैं, तो आप उसे रिपोर्ट कर सकते हैं — और आपके FASTag खाते में ₹1,000 क्रेडिट मिलेगा। यह पहल “Clean Toilet Picture Challenge” नाम से चली है, और जनता को सफाई की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाने का एक साहसिक कदम है।
इस लेख में, हम विस्तारपूर्वक जानेंगे कि यह योजना कैसे काम करेगी, कौन पात्र होगा, रिपोर्टिंग की प्रक्रिया क्या है, किन चुनौतियों से जूझ सकती है, विशेषज्ञ क्या सोचते हैं, और आम लोगों के सवालों के जवाब भी देंगे।
प्रस्तावना
राजमार्ग यात्रा में “टॉयलेट की दयनीय हालत” एक ऐसी समस्या है जिससे अक्सर लोग शिकायत करते हैं। पर सोचिए अगर वह शिकायत आपको रुपये दिलाए — यह विचार बहुतों को अजीब लगे, पर NHAI ने इसे वास्तविक रूप दे दिया है।
इस पहल का मकसद सिर्फ सफाई बढ़ाना नहीं, बल्कि एक नयी व्यवस्था बनाना है — जहाँ यात्रियों को अपनी आवाज़ सुनने का अवसर मिले और एजेंसियाँ जवाबदेह हों।
यह अभियान 31 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। जनता से अपेक्षा है कि वे सफाई की निगरानी में योगदान दें। लेकिन सवाल उठता है: क्या यह सिर्फ प्रचार की मुहिम है या स्थायी बदलाव ला पाएगी?
योजना की रूपरेखा और विस्तृत विश्लेषण
1. अभियान का नाम और संदर्भ
यह पहल NHAI की Special Campaign 5.0 के तहत लाई गई है। स्वच्छता, जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देना इस अभियान का मूल उद्देश्य है।
NHAI ने मीडिया बयान और समाचार रिपोर्टों में घोषणा की है कि यदि कोई यात्री टोल प्लाज़ा पर गंदे शौचालय की रिपोर्ट करेगा, वह ₹1,000 का FASTag क्रेडिट प्राप्त कर सकता है, बशर्तु रिपोर्ट वैध हो।
नियंत्रक निकायों और ठेकेदारों को यह संदेश दिया गया है कि सफाई न होने पर उन्हें ₹1 लाख प्रति दिन तक का जुर्माना लगाया जाएगा, जिससे कि स्वच्छता को अनिवार्य लाभ और दंड दोनों आयामों से सुनिश्चित किया जाए।
2. इस योजना की प्रमुख विशेषताएँ
यह योजना राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू है।
केवल NHAI द्वारा बनाए, संचालित या रखरखाव किए गए शौचालय ही योग्य होंगे; पेट्रोल पंप, ढाबा, अन्य सार्वजनिक स्थानों पर स्थित शौचालय इस योजना से बाहर हैं।
प्रत्येक वाहन पंजीकरण संख्या (VRN) इस अभियान में केवल एक बार पुरस्कार प्राप्त कर सकती है।
एक ही शौचालय पर एक दिन में पहली वैध रिपोर्ट को ही ₹1,000 का क्रेडिट मिलेगा, चाहे कई लोगों ने रिपोर्ट किया हो।
तस्वीरें जीओ-टैग, समय अंकित (timestamp), स्पष्ट तथा टेक्नूली अप्राकृतिक संपादन से मुक्त होनी चाहिए।
सत्यापन प्रक्रिया दो स्तरों पर होगी — AI आधारित प्रारंभिक स्क्रीनिंग, उसके बाद मानव समीक्षा, जहाँ आवश्यक हो।
पुरस्कार नकदी में नहीं, बल्कि FASTag खाते में क्रेडिट के रूप में दिया जाएगा। इसे हस्तांतरित नहीं किया जा सकेगा।
3. रिपोर्टिंग प्रक्रिया — कैसे करें
रिपोर्टिंग प्रक्रिया यथासंभव सरल, डिजिटल और प्रमाण आधारित बनाई गई है:
सबसे पहले, Rajmargyatra ऐप का नवीनतम संस्करण डाउनलोड या अपडेट करें।
टोल प्लाज़ा पर यदि शौचालय गंदा हो, तो उस स्थिति की दमदार, स्पष्ट फोटो लें, जिसमें जीओ-टैग और समय अंकन हो।
ऐप में रिपोर्ट करते समय नाम, मोबाइल नंबर, VRN (वाहन पंजीकरण संख्या) आदि विवरण भरें।
रिपोर्ट सबमिट करें। सत्यापन प्रक्रिया का इंतजार करें।
यदि रिपोर्ट वैध पाई गई और पहली है उस टॉयलेट पर उस दिन, तो ₹1,000 FASTag खाते में क्रेडिट किया जाएगा।
NHAI ने यह स्पष्ट किया है कि duplicate, manipulated या पहले रिपोर्ट की गई तस्वीरों को अस्वीकार किया जाएगा।
4. दंडीकरण और जवाबदेही
इस पहल की ताकत सिर्फ पुरस्कार देने में नहीं, बल्कि ठेकेदारों पर जवाबदेही लगाने में भी निहित है। यदि किसी टॉयलेट की सफाई नहीं रखी गई या शिकायतों की अधिकता हो, तो उस टॉयलेट से जुड़े ठेकेदार पर ₹1 लाख प्रति दिन तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इस तरह यह योजना “नज़र आओ, रिपोर्ट करो, दंड भुगतो” की त्रिमूर्ति पर आधारित है — पुरस्कार + निगरानी + दंड।

चुनौतियाँ, आलोचनाएँ और संभावित जोखिम
यद्यपि यह योजना अभिनव है, इसके व्यावहारिक क्रियान्वयन में कुछ बाधाएँ और आलोचनाएँ सामने आई हैं:
1. फोटो धोखाधड़ी और डुप्लिकेट रिपोर्ट
जो भी इस योजना का लाभ उठाना चाहेगा, वह पुराने या संपादित फोटो भेज सकता है। AI व मानव समीक्षा इस तरह के धोखाधड़ी प्रयासों को रोकने की कोशिश करेगी, लेकिन समय और संसाधन दोनों की ज़रूरत होगी।
2. टॉयलेट सुविधाओं की कमी
बहुत से टोल प्लाज़ा अभी भी ऐसे स्थान पर हैं जहाँ शौचालय बंद, टूटे हुए या पानी की आपूर्ति न हो — यहाँ रिपोर्टिंग करना संभव नहीं होगा। मीडिया रिपोर्टों में यात्रियों ने यह शिकायत की है कि कहीं-कहीं टॉयलेट ही नहीं हैं या बंद पड़े होते हैं।
3. पहचान समस्या
कई यात्रियों ने यह कहा है कि उन्हें यह पता नहीं होता कि कौन-सा शौचालय NHAI द्वारा संचालित है और कौन सा निजी है। अगर शौचालय पर स्पष्ट चिन्ह या बोर्ड नहीं होगा, तो रिपोर्टिंग और दायित्व पहचान मुश्किल हो सकती है।
4. सीमित अवधि, सततता की कमी
यह योजना केवल 31 अक्टूबर 2025 तक चलेगी। यदि अभियान के बाद रखरखाव पर ध्यान नहीं मिलेगा, तो यह सब फिर पूर्ववत हो सकता है—मामूली जागरूकता अभियान बन कर रह जाएगा।
5. संसाधन और संचालन का बोझ
देशभर के सभी टोल प्लाज़ा पर रिपोर्ट की निगरानी, त्वरित सत्यापन और सुधारात्मक कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती होगा।
अलग-अलग ज़िलों, ठेकेदारों और स्थानीय अधिकारियों के बीच समन्वय ज़रूरी रहेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि पुरस्कार और दंड सही दिशा में संकेत हैं, लेकिन “रोज़मर्रा की सफाई, विश्वसनीय पानी की आपूर्ति और नियमित निगरानी” इस योजना की सफलता की असली कुंजी होगी।
विशेषज्ञ विचार और प्रतिक्रियाएँ
डॉ. रेखा सिंह, स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, कहती हैं:
“यह पहल तकनीक और नागरिक भागीदारी को जोड़ने की एक सशक्त शुरुआत है। यदि सरकार इसे नियमित नीति में बदल दे, तो यह भारत की सार्वजनिक स्वच्छता संस्कृति को बहुत आगे ले जा सकती है।”
अमित वर्मा, सड़क सुरक्षा एवं यात्री हित संगठन “Highway Watch India” के संयोजक, टिप्पणी करते हैं:
“इनाम देना प्रेरक है, लेकिन असली बदलाव तब होगा जब सफाई, मरम्मत और प्रबंधन को दिन-प्रतिदिन लागू किया जाए। यह केवल एक सीमित अवधि की ड्राइव नहीं हो सकती।”
NHAI सूत्रों के अनुसार, यदि किसी टॉयलेट पर लगातार शिकायतें हों, तो उस स्थान पर विशेष निरीक्षण टीम भेजी जाएगी। इसके अतिरिक्त, ज़िला कार्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रमाणित बोर्डिंग और ब्रांडिंग लगाएँ ताकि उपयोगकर्ता जान सकें कि यह NHAI शौचालय है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में सिर्फ लगभग 6,500 किमी के राष्ट्रीय राजमार्गों पर 300 शौचालय ही हैं — ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि हर जगह इस योजना की पैठ हो पाएगी।
निष्कर्ष
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं कि इस FASTag reward पहल ने यात्रा–स्वच्छता के परिदृश्य को नई दिशा दी है। अब यात्रियों को शिकायत करना सिर्फ शब्दों का नहीं बल्कि क्रियान्वयन योग्य कदम बन गया है। अगर यह सहनशीलता, निगरानी और निरंतरता के साथ आगे बढ़े, तो यह मॉडल बस भारत भर में नहीं, बल्कि अन्य सार्वजनिक स्थानों जैसे रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, सार्वजनिक शौचालयों आदि में भी अपनाया जा सकता है।
पर सफल होने की कसौटी यही है: यह सिर्फ एक महीने की पहल न रह जाए। यदि NHAI नियमित निगरानी, ठेकेदार जवाबदेही और उपयोगकर्ता जागरूकता बनाए रखे, तभी यह परिवर्तन स्थायी होगा।
यात्रियों, ड्राइवरों और राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को कहना है — अपने फ़ोन तैयार रखें, सफाई देखें, रिपोर्ट करें और ₹1,000 FASTag क्रेडिट अर्जित करें। लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करें कि रिपोर्टिंग ईमानदारी से हो, न कि जालसाज़ी से।
इस अभियान को केवल “नामी नोटिस” नहीं बल्कि एक नई स्वच्छता यात्रा बनाएं।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या हर शौचालय की रिपोर्ट पर ₹1,000 मिलेगा?
नहीं। केवल वे शौचालय, जो NHAI की देखरेख में हैं, और पहली वैध रिपोर्ट हो, उसी पर ₹1,000 का FASTag क्रेडिट मिलेगा।
Q2. क्या मैं एक ही वाहन (VRN) से कई रिपोर्ट भेज सकता हूँ?
नहीं। प्रत्येक वाहन पंजीकरण संख्या (VRN) इस अभियान में सिर्फ एक बार पुरस्कार प्राप्त कर सकती है।
Q3. क्या पुरस्कार नकद में मिलेगा?
नहीं। यह नकद नहीं बल्कि आपके FASTag खाते में क्रेडिट के रूप में मिलेगा। इसे हस्तांतरित नहीं किया जा सकेगा।
Q4. अगर तस्वीर पहले रिपोर्ट की गई हो, तो क्या मेरी रिपोर्ट स्वीकार होगी?
नहीं। डुप्लिकेट या पहले रिपोर्ट की गई तस्वीरों को अस्वीकार किया जाएगा।
Q5. रिपोर्ट की जांच कैसे होगी?
पहले AI-based स्क्रीनिंग होगी, और यदि ज़रूरत पड़ी, तो मानव समीक्षा भी की जाएगी।



