Cheteshwar Pujara Retirement: भारत के टेस्ट योद्धा का अंत

Cheteshwar Pujara Retirement

Cheteshwar Pujara Retirement: भारत के टेस्ट योद्धा का अंत

Cheteshwar Pujara Retirement – यह खबर आते ही भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। पुजारा, जिन्हें “दीवार” के नाम से जाना जाता है, ने अपने दृढ़ निश्चय, क्लासिकल तकनीक और लंबे समय तक क्रीज पर टिके रहने की क्षमता से भारतीय क्रिकेट को कई यादगार जीत दिलाई।

पुजारा का सफर – एक छोटे शहर से भारतीय टीम तक

राजकोट जैसे छोटे शहर से निकलकर भारतीय टीम तक पहुँचना आसान नहीं था। लेकिन पुजारा ने बचपन से ही क्रिकेट को अपना जीवन मान लिया। उन्होंने अपने घरेलू करियर में लगातार रन बनाए और चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा।

2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट से उन्होंने डेब्यू किया। पहली पारी में वे जल्दी आउट हो गए, लेकिन दूसरी पारी में 72 रनों की मैच जिताऊ पारी खेलकर उन्होंने सभी को प्रभावित किया।

आँकड़ों में पुजारा का करियर

  • टेस्ट मैच: 103

  • टेस्ट रन: 7,195

  • औसत: 43.60

  • शतक: 19

  • अर्धशतक: 35

  • फर्स्ट क्लास रन: 21,301

  • फर्स्ट क्लास शतक: 66

यह आँकड़े सिर्फ संख्या नहीं हैं, बल्कि यह पुजारा की मेहनत, संघर्ष और देश के लिए खेलते हुए उनके त्याग की कहानी बताते हैं।

पुजारा की ऐतिहासिक पारियाँ

1. 153 रन बनाम दक्षिण अफ्रीका (जोहान्सबर्ग, 2013)

तेज गेंदबाजों की उछाल भरी पिच पर पुजारा ने 270 गेंदों में 153 रन बनाकर भारत को बचाया।

2. 202 रन बनाम ऑस्ट्रेलिया (रांची, 2017)

525 गेंदों का सामना कर उन्होंने एक मैराथन पारी खेली। यह पारी उनके धैर्य और फिटनेस का सबूत थी।

3. 123 और 71 रन बनाम ऑस्ट्रेलिया (एडिलेड, 2018)

जब पूरी टीम लड़खड़ा रही थी, पुजारा ने दोनों पारियों में शानदार बल्लेबाज़ी करके भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई।

4. 56 रन बनाम ऑस्ट्रेलिया (ब्रिस्बेन, 2021)

यह स्कोर भले ही बड़ा न हो, लेकिन 211 गेंदों का सामना करते हुए पुजारा ने अपने शरीर पर कई गेंदें खाईं और टीम इंडिया को इतिहास रचने का मौका दिया।

ऑस्ट्रेलिया में पुजारा की भूमिका

2018-19 की सीरीज़ भारत के लिए ऐतिहासिक थी। पुजारा ने तीन शतक जमाए और “प्लेयर ऑफ द सीरीज़” बने। यह जीत भारत की पहली ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीत थी, और पुजारा उस जीत के सबसे बड़े नायक थे।

2020-21 की सीरीज़ में जब टीम इंडिया युवा खिलाड़ियों पर निर्भर थी, पुजारा ने अपनी देह पर कई चोटें सहकर भारत को ब्रिस्बेन टेस्ट में जीत दिलाई। यह पारी हमेशा याद रखी जाएगी।

क्रिकेट विशेषज्ञों और दिग्गजों की राय

  • अनिल कुंबले: “पुजारा भारतीय क्रिकेट के सबसे सच्चे राजदूत हैं।”

  • सुनील गावस्कर: “उन्होंने हमेशा भारत को अपनी प्राथमिकता दी।”

  • शशि थरूर: “उन्हें एक ‘dignified farewell’ मिलना चाहिए था।”

क्या पुजारा को मिला उचित विदाई?

पुजारा ने अपना आखिरी टेस्ट जून 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ WTC फाइनल में खेला। उसके बाद चयनकर्ताओं ने युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया। कई लोगों का मानना है कि पुजारा को कम से कम एक “फेयरवेल टेस्ट” दिया जाना चाहिए था।

पुजारा का योगदान – सिर्फ आँकड़े नहीं

  • भारतीय टीम के लिए “दीवार” की भूमिका निभाई।

  • कठिन परिस्थितियों में धैर्य और तकनीक से मैच बचाए।

  • देश के लिए कई चोटें खाईं लेकिन कभी हार नहीं मानी।

  • भारतीय टेस्ट क्रिकेट को स्थिरता और मजबूती दी।

ईमानदारी और मेहनत का प्रतीक

पुजारा ने हमेशा पैसों या ग्लैमर से ज्यादा खेल को प्राथमिकता दी। आईपीएल में भले ही उन्हें ज्यादा मौका नहीं मिला, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी जगह कोई नहीं ले पाया।

निष्कर्ष

Cheteshwar Pujara Retirement

भारतीय क्रिकेट के लिए एक युग का अंत है। वह सिर्फ बल्लेबाज़ नहीं थे, बल्कि भारतीय क्रिकेट की आत्मा थे। उनकी पारियाँ सिर्फ रन बनाने के लिए नहीं थीं, बल्कि देश को सम्मान दिलाने के लिए थीं।

आज जब वे मैदान छोड़ रहे हैं, भारतीय क्रिकेट उन्हें हमेशा एक “Test Warrior” के रूप में याद करेगा।


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