Kedarnath Ropeway Project-8 घंटे की यात्रा अब मात्र 36 मिनट में, ₹4,081 करोड़ का निवेश

Kedarnath Ropeway Project

Kedarnath Ropeway Project: यात्रा समय में 8 घंटे की कमी, ₹4,081 करोड़ का निवेश:

प्रस्तावना: एक ऐतिहासिक कदम

उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ धाम, भारतीय हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थान हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन, इस पवित्र स्थल तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को 16 किलोमीटर की कठिन और शारीरिक रूप से थकाने वाली चढ़ाई करनी पड़ती है। ये यात्रा शारीरिक रूप से चुनौतियों से भरी होती है और कई बार बहुत से लोग इसकी कठिनाई के कारण इस यात्रा को पूरा नहीं कर पाते हैं।

 

लेकिन अब, केदारनाथ यात्रा को सरल और सुलभ बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। भारतीय सरकार ने ₹4,081 करोड़ की लागत से सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस रोपवे के निर्माण से यात्रा समय को 8-9 घंटे से घटाकर मात्र 36 मिनट कर दिया जाएगा। यह परियोजना न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक नई राह खोलेगी, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को भी एक नई दिशा देगी।

Kedarnath Ropeway Project परियोजना की तकनीकी विशेषताएँ

केदारनाथ रोपवे परियोजना, ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक पर आधारित होगी। इस तकनीक में तीन केबल होते हैं, जिनकी सहायता से गोंडोला को लटका कर चलाया जाता है। यह तकनीक विश्वभर में पर्वतीय क्षेत्रों में सबसे सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती है।

इस परियोजना के तहत, सोनप्रयाग से केदारनाथ तक की यात्रा में प्रतिदिन लगभग 18,000 श्रद्धालुओं को यात्रा करने की क्षमता होगी। प्रति घंटे प्रति दिशा 1,800 यात्रियों की क्षमता रखने वाली यह रोपवे, श्रद्धालुओं को न केवल सुरक्षित यात्रा की सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि उन्हें एक शानदार दृश्य का भी आनंद मिलेगा।

रोपवे के निर्माण का काम छह वर्षों में पूरा होने का अनुमान है, और परियोजना के 29 वर्षों तक इसे चलाने का ठेका दिया गया है। इस परियोजना को सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है, जिसमें अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को निर्माण का ठेका मिला है।

रोपवे के लाभ

यात्रा समय में कमी

वर्तमान में श्रद्धालुओं को गोरिकुंड से केदारनाथ तक 8-9 घंटे की कठिन यात्रा करनी पड़ती है। यह यात्रा खच्चर या पैदल की जाती है, जो शारीरिक रूप से थकाने वाली होती है। लेकिन, जब यह रोपवे परियोजना शुरू हो जाएगी, तो इस यात्रा को मात्र 36 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इस प्रकार, यह परियोजना यात्रा के समय को 8 घंटे से भी अधिक घटा देगी।

सुरक्षित और आरामदायक यात्रा

रोपवे का उपयोग श्रद्धालुओं को न केवल यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि यह उनकी यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक भी बनाएगा। इस परियोजना में एक आधुनिक गोंडोला तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो यात्रियों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होगी।

पर्यावरणीय संरक्षण

रोपवे का निर्माण पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल होगा। वर्तमान में, जो पर्यावरणीय नुकसान पैदल यात्रा और खच्चरों के उपयोग से होता है, उसे इस परियोजना से कम किया जाएगा। रोपवे के उपयोग से प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी कम होगा और यह पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करेगा।

रोजगार के अवसर

इस परियोजना से उत्तराखंड के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। निर्माण कार्य के दौरान, लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा, और रोपवे के संचालन के बाद भी, विभिन्न सेवाओं के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता होगी।

परियोजना का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

इस परियोजना से न केवल यात्रा की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी एक बड़ा बढ़ावा मिलेगा। केदारनाथ धाम जैसे प्रमुख तीर्थ स्थल को जोड़ने वाली यह परियोजना, राज्य के पर्यटन क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगी। इसके परिणामस्वरूप, अधिक श्रद्धालु और पर्यटक इस क्षेत्र में आएंगे, जिससे स्थानीय व्यवसायों, होटलों और रेस्टोरेंट्स को लाभ होगा।

इस परियोजना का सामाजिक प्रभाव भी सकारात्मक होगा। स्थानीय समुदायों को पर्यटन से जुड़े रोजगार और विकास के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, यह परियोजना उत्तराखंड के अन्य पर्यटन स्थलों को भी एक नई पहचान दिलाने में मदद करेगी।

भविष्य की योजनाएँ

केदारनाथ रोपवे परियोजना के सफल कार्यान्वयन के बाद, उत्तराखंड के अन्य तीर्थ स्थलों के लिए भी ऐसी परियोजनाएँ शुरू की जा सकती हैं। जैसे कि हेमकुंड साहिब और वैली ऑफ फ्लावर्स के लिए भी रोपवे नेटवर्क की योजना बनाई जा सकती है। इन परियोजनाओं से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सकेगा।

इसके अलावा, इस परियोजना का सकारात्मक प्रभाव राज्य के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर भी पड़ेगा। श्रद्धालुओं को आसानी से और सुरक्षित रूप से धार्मिक स्थलों तक पहुंचने की सुविधा मिलने से उनका विश्वास और संतुष्टि बढ़ेगी।

निष्कर्ष

केदारनाथ रोपवे परियोजना न केवल यात्रा को सरल बनाएगी, बल्कि यह उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। इस परियोजना से श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, और पर्यावरण की रक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘परवत्माला योजना’ के तहत भारत में पर्वतीय क्षेत्रों में रोपवे नेटवर्क के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

FAQ:

प्रश्न 1: केदारनाथ रोपवे परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाना है, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु इस पवित्र स्थल तक पहुंच सकें।

प्रश्न 2: इस परियोजना में कितना निवेश किया जाएगा?
उत्तर: इस परियोजना में ₹4,081 करोड़ का निवेश किया जाएगा।

प्रश्न 3: रोपवे का निर्माण कब तक पूरा होगा?
उत्तर: इस परियोजना का निर्माण छह वर्षों में पूरा होने की संभावना है।

प्रश्न 4: रोपवे के क्या लाभ होंगे?
उत्तर: रोपवे से यात्रा का समय कम होगा, यात्रा सुरक्षित और आरामदायक होगी, और पर्यावरणीय दबाव कम होगा।

प्रश्न 5: क्या यह परियोजना उत्तराखंड के अन्य तीर्थ स्थलों के लिए भी लागू की जाएगी?
उत्तर: हाँ, केदारनाथ रोपवे परियोजना के बाद, अन्य धार्मिक स्थलों जैसे हेमकुंड साहिब के लिए भी ऐसी परियोजनाओं की योजना बनाई जा सकती है।


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