Ola Electric share का उतार-चढ़ाव भरा सफर
ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) ने अगस्त 2025 में शेयर बाजार में 31% की जबरदस्त बढ़त दर्ज की। यह रैली कंपनी के लिए खास मायने रखती है क्योंकि कुछ ही समय पहले इसके शेयर जुलाई में रिकॉर्ड लो पर पहुँच गए थे। निवेशकों का भरोसा, सरकारी इंसेंटिव और Gen 3 स्कूटर पोर्टफोलियो के लिए PLI सर्टिफिकेशन जैसे कारकों ने इस रिकवरी को संभव बनाया है।
यह कहानी सिर्फ एक स्टॉक की बढ़त की नहीं है, बल्कि भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार की दिशा और भविष्य की झलक भी दिखाती है।
Ola Electric share की रिकवरी क्यों चर्चा में है?
अगस्त 2025 में ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों ने 31% की वृद्धि दर्ज की। यह बढ़त कंपनी के इतिहास में सबसे बड़ी मासिक रैली में से एक है, जो IPO के समय की याद दिलाती है।
$5 बिलियन का मार्केट कैप घाटा
हालांकि, ध्यान देने वाली बात है कि कंपनी अब भी IPO के बाद के पीक से 60% नीचे है। “5 बिलियन डॉलर रूट” का ज़िक्र इस बात की ओर इशारा करता है कि शुरुआती उत्साह के बाद निवेशकों को बड़ा घाटा झेलना पड़ा था।
सरकार का PLI स्कीम: ओला के लिए गेमचेंजर
Gen 3 स्कूटर पोर्टफोलियो को मंजूरी
हाल ही में ओला इलेक्ट्रिक को Automotive Research Association of India (ARAI) से Gen 3 स्कूटर पोर्टफोलियो के लिए PLI सर्टिफिकेशन मिला। इसके तहत कंपनी को 2028 तक 13% से 18% तक का इंसेंटिव मिलेगा।
क्यों अहम है यह कदम?
यह इंसेंटिव कंपनी की लागत संरचना (Cost Structure) सुधारने में मदद करेगा।
मार्जिन बेहतर होंगे और Q2 FY26 से प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ने की संभावना है।
इससे निवेशकों का भरोसा और मज़बूत होगा।
निवेशकों और एनालिस्ट्स की राय
पॉजिटिव सिग्नल
Choice Broking के सीनियर एनालिस्ट मंदार भोजने का कहना है कि शेयर ने तकनीकी रूप से ब्रेकआउट किया है और 52–50 रुपये के स्तर पर गिरावट को खरीदारी का मौका माना जा सकता है।
INVasset PMS के फंड मैनेजर अनिरुद्ध गर्ग के अनुसार, स्टॉक ने सालभर के डाउनट्रेंड को तोड़ा है और 68–70 रुपये तक पहुँच सकता है।
सावधानी की जरूरत
हालांकि, Bonanza Research के एनालिस्ट द्रमिल विठलानी का मानना है कि RSI (Relative Strength Index) 68 के आसपास है, जो बताता है कि शेयर ओवरबॉट ज़ोन में पहुँच रहा है। इससे अल्पकालिक करेक्शन की संभावना बनी हुई है।
ओला की चुनौतियाँ: अभी भी सफर आसान नहीं
वित्तीय दबाव
जून 2025 की तिमाही में कंपनी ने 428 करोड़ रुपये का नेट लॉस दर्ज किया।
हालांकि ग्रॉस मार्जिन 25.6% तक सुधरा है, लेकिन राजस्व आधा हो गया।
ASM फ्रेमवर्क में शामिल
ओला इलेक्ट्रिक को BSE और NSE ने Additional Surveillance Measure (ASM) फ्रेमवर्क में रखा है। इसका मतलब है कि स्टॉक में वोलैटिलिटी ज़्यादा है और निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए।
भारतीय EV मार्केट और ओला की स्थिति
त्योहारी सीजन से उम्मीद
एनालिस्ट मानते हैं कि आगामी त्योहारी सीजन में स्कूटर की बिक्री बढ़ सकती है। इससे कंपनी को मार्केट शेयर बरकरार रखने में मदद मिलेगी।
बैटरी और गीगाफैक्ट्री विज़न
ओला की योजना इन-हाउस लिथियम-आयन बैटरी सेल्स विकसित करने और अपनी गीगाफैक्ट्री का विस्तार करने की है। यह कदम लंबे समय में कंपनी को चीनी निर्माताओं पर निर्भरता से मुक्त कर सकता है।
प्रतिस्पर्धा और इंडस्ट्री ट्रेंड
Ather Energy की मजबूती
ओला की प्रतिद्वंदी Ather Energy के शेयर भी हाल में रिकॉर्ड हाई पर पहुँचे हैं। इससे साफ है कि EV सेक्टर में निवेशकों की दिलचस्पी बरकरार है।
रेयर अर्थ मैग्नेट संकट
EV इंडस्ट्री अभी भी रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई पर निर्भर है। चीन की पाबंदियों के चलते चुनौतियाँ बनी हुई हैं। हालांकि कंपनियाँ वैकल्पिक टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं।
निष्कर्ष: क्या वाकई वापसी की राह पर है ओला इलेक्ट्रिक?
ओला इलेक्ट्रिक की हालिया रैली निवेशकों के लिए राहत भरी है। लेकिन कंपनी को अभी भी लॉस कम करने, सप्लाई चेन मैनेज करने और मार्केट शेयर बनाए रखने जैसी चुनौतियों से जूझना होगा।
भविष्य की कुंजी होगी:
PLI इंसेंटिव का सही उपयोग
नई स्कूटर लॉन्च की सफलता
बैटरी टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता
अगर कंपनी इन मोर्चों पर सफल होती है, तो यह वाकई भारत की EV रिवोल्यूशन की अगुवाई कर सकती है।
FAQs
प्रश्न 1: PLI सर्टिफिकेशन क्या है और ओला के लिए क्यों जरूरी है?
उत्तर: PLI (Production Linked Incentive) स्कीम सरकार की ओर से दिया गया इंसेंटिव है। इसके तहत कंपनियों को उनकी बिक्री पर 13–18% तक का लाभ मिलता है। ओला के लिए यह इसलिए अहम है क्योंकि इससे उसकी प्रॉफिटेबिलिटी में तेजी आएगी।
प्रश्न 2: क्या अभी ओला इलेक्ट्रिक के शेयर खरीदने चाहिए?
उत्तर: टेक्निकल एनालिस्ट्स मानते हैं कि 50–52 रुपये का लेवल खरीदारी के लिए अच्छा है, लेकिन अल्पकालिक करेक्शन की संभावना है। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
प्रश्न 3: ओला की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उत्तर: कंपनी का घाटा, ASM फ्रेमवर्क में आना और EV इंडस्ट्री की सप्लाई चेन समस्याएँ—ये सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं।



