₹5 लाख से कम में EV? — Budget EV Cars की ओर कंपनियों की बड़ी प्लानिंग
Budget EV Cars शीर्षक वाला यह विषय आज भारतीय ऑटो बाजार में तेजी से चर्चा में है। देश में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) Adoption बढ़ रहा है, लेकिन चार-पहिया EVs की शुरुआती कीमतें अभी भी आम उपयोगकर्ता के बजट से काफी ऊपर हैं। ऐसे में सवाल यह कि क्या सचमुच “₹5 लाख से कम में EV” संभव है? इस लेख में हम देखेंगे कि-
वर्तमान बाज़ार में चार-पहिया EVs की स्थिति क्या है,
सरकार व ऑटो कंपनियों ने क्या योजनाएँ बनाई हैं,
किन चुनौतियों का सामना करना होगा,
और आने वाले वर्षों में बजट EVs की संभावना कितनी है।
परिचय
भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार ने कई बिन्दुओं पर काम किया है। उदाहरण के लिए, Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India (SPMEPCI) को 15 मार्च 2024 को मंजूरी दी गई थी। इसके उद्देश्य में घरेलू उत्पादन को बढ़ाना, इन्वेस्टमेंट लाना और मायक्रो-EV से लेकर पदवीवाले EVs तक को शामिल करना है।
वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को 2030 तक EV क्षेत्र में लगभग US $500 बिलियन (लगभग ₹ 41 लाख करोड़) का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य है।
इन बड़ी नीतियों व निवेश की पृष्ठभूमि में बजट EV की चर्चा इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि यदि चार-पहिया EVs की कीमत “₹5 लाख या उसके आसपास” आ सके, तो भारत जैसे संवेदनशील बजट वाले बाजार में EV क्रांति को एक नया प्रवाह मिल सकता है। लेकिन इस लक्ष्य के सामने वास्तविकता क्या कहती है?

वर्तमान स्थिति: बजट EVs की हकीकत
जब हम “चार-पहिया इलेक्ट्रिक कार” की बात करते हैं और उसमें “₹5 लाख या उससे कम” की कीमत का लक्ष्य रखते हैं, तो बाजार की स्थिति कुछ इस प्रकार है:
रिपोर्ट के अनुसार 2025 में उपलब्ध प्रमुख EVs की एक्स-शोरूम कीमतें आमतौर पर ₹7-9 लाख या उससे ऊपर से शुरू होती हैं। उदाहरण के लिए, Tata Tiago EV की शुरुआती कीमत ₹7.99 लाख है।
वहीं कुछ बहुत कम बजट वाले मॉडल माइक्रो-EV श्रेणी में उपलब्ध हैं — जैसे कि एक डेटा स्रोत में उल्लेख है कि “EV cars under ₹5 लाख” नाम से चर्चा हो रही है, लेकिन इनमें अक्सर दो-सिट या छोटा आकार-/शहर यूज़ वाली कारें होती हैं।
नीति-दस्तावेज़ में भी कहा गया है कि “उच्च पूँजी लागत कारों के लिए एक बड़ी चिंता है” और अधिकांश चार-पहिया कारों की कीमतें अभी ₹10 लाख से अधिक हैं।
इन बिंदुओं से पता चलता है कि आज-कल “₹5 लाख से कम में आम चार-पहिया EV” एक आसान लक्ष्य नहीं है। यानी, बजट EVs की दिशा में कंपनियों और नीतियों ने “बड़ी प्लानिंग” तो की है, लेकिन यह अभी वास्तविकता में आम क्रेता के लिए सहज विकल्प नहीं है।
कंपनियों की रणनीति-प्लानिंग
तो इस दिशा में ऑटो निर्माता क्या कर रहे हैं? यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं:
बड़ी इन्वेस्टमेंट्स और मॉडल विस्तार
Tata Motors ने घोषणा की है कि अगले पाँच वर्षों में लगभग ₹35,000 करोड़ (≈US$4 बिलियन) निवेश करेगी EVs व नया मॉडल लाइन-अप बढ़ाने के लिए।
इसी तरह, JSW MG Motor India ने भी EV मॉडल विस्तार की दिशा में कदम उठाए हैं।
इन प्रयासों का अर्थ यह है कि कंपनियाँ भारत को EV निर्माण-हब बनाना चाहती हैं और उत्पादन लागत को घटाने के लिए इन्डिजिनाइज़ेशन की ओर बढ़ रही हैं।सरकारी स्कीम्स व प्रोत्साहन
– SPMEPCI के तहत कंपनियों को स्थानीय उत्पादन सुविधाएँ स्थापित करने पर अनुदान व अन्य लाभ दिए जा रहे हैं।
– इस स्कीम के नवीन दिशा-निर्देशों में उल्लेख है कि कंपनियों को तीन वर्ष के भीतर उत्पादन शुरू करना होगा और स्थानीय सामग्री (local content) की न्यूनतम सीमा पूरी करनी होगी।
– इन पहलुओं से लागत नियंत्रण और निर्माण-गति को बढ़ावा मिलेगा, जो कि बजट EVs के लिए महत्वपूर्ण है।मॉडल-पोर्टफोलियो का पुनर्गठन
कंपनियाँ कम कीमत वाले EV मॉडल की दिशा में विचार कर रही हैं — उदाहरण के लिए, बहुत छोटे माइक्रो-EVs या सामान्य शहर-उपयोग वाली EVs। हालांकि अभी तक व्यापक चार-पहिया बजट EVs की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन छोटे-सेगमेंट में विकास की ओर संकेत मिल रहे हैं।
चुनौतियाँ: बजट EVs के सामने प्रमुख बाधाएँ
निम्नलिखित चुनौतियाँ बजट EVs के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं:
बैटरी एवं लागत
EVs की सबसे बड़ी कीमत बैटरी और अधिक बिजली खपत करने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से है। अधिकांश चार-पहिया EVs में बैटरी पैक की कीमत उच्च है, जिससे एक्स-शोरूम कीमत बढ़ जाती है। नीति दस्तावेज़ में भी कहा गया है कि “उच्च पूंजी लागत” EVs के लिए मुख्य चिंता है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर
बजट EVs को सफल बनाने के लिए पर्याप्त चार्जिंग नेटवर्क का होना आवश्यक है। यदि उपभोक्ता को चार्जिंग में असुविधा हो, तो बजट मूल्य की मोटर-कार भी आकर्षक नहीं लग पाएगी।
सेगमेंट एवं फीचर्स का संतुलन
₹5 लाख की कीमत में निर्माता को कम लागत पर सुरक्षित, पर्याप्त रेंज, अच्छा निर्माण-गुणवत्ता और सर्विस नेटवर्क देना होगा — यह आसान नहीं है। उपभोक्ता अपेक्षा रखते हैं कि सुरक्षा, बैटरी वारंटी, और ब्रांड-सर्विस कम लागत में मिले।
उपभोक्ता स्वीकृति और बजट व्यवहार
भारत में कार-खरीदार अत्यंत बजट-सेंसिटिव हैं। एक शोध में पाया गया है कि भारतीय उपभोक्ता चार-पहिया EV के लिए अतिरिक्त कीमत चुकाने को तैयार हैं, लेकिन चार्जिंग समय, रेंज और कुल लागत पर उनका ध्यान है।

क्या ₹5 लाख से कम में EV संभव है?
वर्तमान आँकड़ों एवं घटनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि “पूरी-मात्रा चार-पहिया EV जो उपभोक्ता-स्मार्ट-सिटी तथा लंबी दूरी सक्षम हो, और ₹5 लाख से कम में हो जाए” यह अभी-अभी सहज लक्ष्य नहीं है। लेकिन निम्नलिखित संकेत मिलने लगे हैं जो भविष्य में इसे संभव बना सकते हैं:
माइक्रो-EVs या सुपर-कॉम्पैक्ट EVs पहले कदम हो सकते हैं — इनमें कम बैटरी क्षमता, छोटे साइज, कम फीचर्स होंगे, जिससे कीमत कम रखी जा सकती है। उदाहरण के लिए कुछ ब्लॉग में 4.5 लाख के नीचे EVs की चर्चा है।
स्थानीय उत्पादन-और-स्थानीय सामग्री (local content) बढ़ने से लागत घट सकती है। कंपनियाँ इस दिशा में काम कर रही हैं।
सरकार द्वारा ‘मेक-इन-इंडिया’, निवेश प्रोत्साहन और नई नीति-सहायता देने की दिशा में कदम हैं।
यदि बैटरी-प्रौद्योगिकी और उत्पादन-स्केल में तेजी आए, तो कीमतें जल्द नीचे आ सकती हैं।
उदाहरण के लिए, यदि एक कार निर्माता अत्यंत सिम्पल मॉडल — शहर-यूज, छोटा बैटरी पैक, सीमित फीचर्स — लांच करे, और सरकारी सब्सिडी व इनसेंटिव मिलें, तो ₹5 लाख या उसके आसपास मूल्य पर EV संभव है।
विशेषज्ञों की राय
– ऑटो उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में EVs के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है लेकिन कीमतें कम होकर पूरी-मात्रा उपभोक्ता-सेगमेंट तक पहुँचने में समय लगेगा।
– एक शोधकर्ता ने कहा है कि “भारतीय उपभोक्ता एक मिनट चार्जिंग समय कम करने या प्रति किमी लागत कम करने के लिए अतिरिक्त कीमत चुकाने को तैयार हैं”।
– नीति-विश्लेषक बताते हैं कि स्थानीय उत्पादन-व प्राथमिक सामग्री का विकास बजट EVs के लिए ‘गेम-चेंजर’ हो सकता है।
निष्कर्ष
Budget EV Cars का विचार आकर्षक है — दिल्ली-बनारस-मुंबई-शहरों में छोटी-चार-पहिया EV जिसकी कीमत ₹5 लाख के आसपास हो सके, वह बड़ी क्रांति ला सकती है। वर्तमान समय में इसकी स्थिति यह है:
वास्तविक बाजार में अब-तक चार-पहिया EVs की कीमतें सामान्यतः ₹7-9 लाख से शुरू होती हैं।
हालांकि कंपनियों और सरकार ने बजट EVs की दिशा में प्लानिंग की है, लेकिन “₹5 लाख से कम चार-पहिया EV” अभी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है।
आने वाले वर्षों में बैटरी-लागत में गिरावट, स्थानीय उत्पादन-उपकरण का विस्तार, नई मॉडेल्स-लॉन्च और सरकारी प्रोत्साहन इस लक्ष्य को संभव बना सकते हैं।
यदि आप एक शहर में रोज-मर्रा के उपयोग के लिए कम-रेंज EV खरीदने पर विचार कर रहे हैं, तो अभी माइक्रो/शहर-उपयोग मॉडल्स सही विकल्प हो सकते हैं। लेकिन यदि लक्ष्य “पूरी-मात्रा चार-पहिया EV ₹5 लाख में” है, तो उसे अभी ‘आने वाला’ विकल्प समझना बेहतर होगा, और कुछ समय देखना होगा।
FAQ
Q1. क्या अभी भारत में ₹5 लाख से कम की चार-पहिया EV उपलब्ध है?
हाँ-नहीं। बहुत-कम बजट वाली/micro EVs कुछ कंपनियों द्वारा परिभाषित हैं, लेकिन सामान्य चार-पहिया EVs (4 सीट, पर्याप्त रेंज आदि) अभी व्यापक रूप से ₹5 लाख से कम नहीं मिल रही हैं।
Q2. कंपनियाँ इतनी कम कीमत क्यों नहीं रख पा रही हैं?
मुख्य कारण हैं: बैटरी-लागत उच्च होना, रोज-चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का अभी पूरी तरह विकसित न होना, तथा उत्पादन स्केल-उपकरण व स्थानीय सामग्री कमी।
Q3. सरकार इस दिशा में क्या कर रही है?
भारत सरकार ने SPMEPCI जैसी योजना शुरू की है, जिसमें EV उत्पादन बढ़ाने व निवेश लाने की दिशा में प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
Q4. बजट EV चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
रेंज (एक बार चार्ज में चलने वाला किमी), चार्जिंग समय, बैटरी वारंटी, सर्विस नेटवर्क, स्थानीय सामग्री व भरोसा।
Q5. भविष्य में कब तक ₹5 लाख के आसपास EV संभव हो सकती है?
यदि बैटरी-लागत में तेजी से गिरावट आती है, उत्पादन-स्केल बड़ी होती है, और ऑटो कंपनियाँ विशेष सस्ते मॉडल पर काम करती हैं — तो अगले 2-5 वर्षों में यह संभव है।



