क्या 2030 तक भारत में Driverless Car चलने लगेगी? एक्सपर्ट्स ने दे दिया क्लियर टाइमलाइन

भारत में driverless car तकनीक का सड़क पर परीक्षण, AI सेंसर और ऑटोनोमस सिस्टम के साथ भविष्य की स्मार्ट मोबिलिटी

driverless car भारत में कब आएगी? स्थिति, चुनौतियाँ और भविष्य

 

परिचय

आज जब ऑटोमोबाइल और स्मार्ट-मॉबिलिटी की दुनिया तेजी से बदल रही है, तब शब्द driverless car यानी स्वचालित वाहन की चर्चा भी आम हो गई है। यह तकनीक सिर्फ एक शोध-प्रोजेक्ट नहीं रही, बल्कि दुनिया भर में परीक्षणों में बहुचर्चित बन चुकी है। भारत की बात करें, तो यहाँ का वातावरण, सड़क-डाल, ट्रैफिक व्यवहार और नियम-व्यवस्था इस बदलाव को दूसरे देशों की तुलना में अलग तरह से प्रभावित कर रहे हैं। इसमें तकनीकी, आर्थिक, सामाजिक और कानूनी सब पहलू शामिल हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि भारत में driverless car की स्थिति क्या है, किस दिशा में जा रहा है, किन चुनौतियों का सामना करना है और आने वाले वर्षों में क्या संभव है।

driverless car की टेक्नोलॉजी और वैश्विक परिदृश्य

विश्व स्तर पर driverless car या स्वचालित ड्राइविंग तकनीक कई स्तरों में विकसित हो रही है। SAE International द्वारा दिए गए लेवल 0 से लेवल 5 तक के ऑटोमेशन मॉडल में लेवल 5 का अर्थ है — “हर तरह की सड़क-और-परिस्थिति में बिना मानव-ड्राइवर के वाहन पूरी तरह चल सके”।
उदाहरण के रूप में, अमेरिका में Waymo ने लेवल 4-5 जैसे परीक्षणों को आगे बढ़ाया है और २०२५ तक साप्ताहिक 200,000 से अधिक “रोबोटैक्सी” सफ़र चला रही है।
लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि इन प्रणालियों का व्यावसायिक रूप से आम-सड़कों पर पूरे देश में संचालन अभी भी सीमित है।

AI, LiDAR, कैमरा और सेंसर से लैस driverless car जो बिना ड्राइवर के ट्रैफिक में सुरक्षित तरीके से चलने के लिए बनाई गई है
यह इमेज दिखाती है कि driverless car कैसे हाई-टेक सेंसर और AI मॉड्यूल की मदद से ट्रैफिक को पहचानकर बिना ड्राइवर चलती है।

भारत में स्थिति: कितनी दूर हैं हम?

वर्तमान टेक्नोलॉजी का स्तर

भारत में अब तक अधिकांश वाहन ‘Advanced Driver Assistance Systems (ADAS)’ वाले रहे हैं, जैसे लेन-कीप असिस्ट, स्वतः आपात ब्रेकिंग, एडेप्टिव क्रूज कंट्रोल आदि — लेकिन ये full driverless car नहीं हैं। (Novus Hi-Tech)
हाल ही में एक बड़ी खबर यह है कि Wipro, Indian Institute of Science (IISc) और RV College of Engineering ने मिलकर “WIRIN” नामक एक prototype driverless car विकसित किया है, जिसे भारतीय सड़क-परिस्थिति के अनुरूप बनाया गया है।

नियम-व्यवस्था और सार्वजनिक नीति

भारत में नियम-व्यवस्था की चुनौतियाँ बड़ी हैं। उदाहरण के लिए, Nitin Gadkari मंत्री द्वारा यह संकेत दिया गया है कि “driverless cars” को भारत की सड़कों पर तुरंत नहीं चलने दिया जाएगा।
सड़क-परिवहन मंत्रालय, राज्य-सरकारें, पब्लिक-सेफ्टी एजेंसियाँ, व्हीकल-सेफ्टी नियम (जैसे Bharat NCAP) आदि इस प्रक्रिया में शामिल हैं।

विशिष्ट चुनौतियाँ

भारत के लिए driverless car का परिचालन आसान नहीं है। कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • सड़क-इन्फ्रास्ट्रक्चर: लेन मार्किंग का अभाव, अनियमित रोड लेआउट, गड्ढे-उखड़े रास्ते।
  • ट्रैफिक व्यवहार: भारत में वाहन, दोपहिया, पैदल चलने वाले, जानवर, रिक्शा आदि समान स्थान पर चलते हैं — यह संयोजन ऑटोनोमस सिस्टम के लिए कठिनाई पैदा करता है।
  • टेक्नोलॉजी-कॉस्ट: सेंसर, LiDAR, 5G-कनेक्टिविटी, मैपिंग आदि की लागत अभी भी बहुत अधिक है।
  • समाज-विश्वास: जनता को भरोसा देना कि वाहन बिना ड्राइवर सुरक्षित ढंग से चल सकते हैं, यह बड़ी चुनौती है।
  • कानूनी-ज़िम्मेदारी: दुर्घटना-स्थिति में जिम्मेदारी किसकी होगी — वाहन निर्माता, सॉफ़्टवेयर कम्पनी, सरकार या मालिक?

भारत में driverless car के लिए संभावित समय-रेखा

विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, उन्नत ऑटोनोमस वाहन (लेवल 4-5) के लिए 2025-2035 के बीच में चरण-बद्ध उन्नयन की संभावना है।
भारत-विशेष के विश्लेषकों का सुझाव है कि भारत में full driverless car (लेवल 5) लागू होने में कम-से-कम 10-15 वर्ष का समय लग सकता है।

नजदीकी भविष्य (1-5 वर्ष):

  • व्यापक स्तर पर ADAS फीचर्स वाले वाहन प्रचलित होंगे।
  • सीमित ग्रेड-रोड या गेटेड कम-ट्रैफिक ज़ोन में ऑटोनोमस परीक्षण होंगे।

मध्यम-सीमित (5-10 वर्ष):

  • कुछ प्रीमियम मॉडल या फ्लीट-सेवा में लेवल 3-4 ऑटोनोमस वाहन दिख सकते हैं।
  • नियम-व्यवस्था, पायलट ज़ोन, स्मार्ट-सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी आयेगी।

लंबी अवधि (10-15 वर्ष या उससे अधिक):

  • बड़े-पेमाने पर driverless car आम नागरिकों के उपयोग में आ सकती है, बशर्ते उपरोक्त सभी बाधाओं को पार कर लिया जाए।
स्मार्ट सिटी में चलती driverless car जहाँ डिजिटल ट्रैफिक सिस्टम और AI-कनेक्टेड रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर सक्रिय है
यह भविष्य का ट्रैफिक मॉडल दिखाता है जहाँ driverless car स्मार्ट सिटी, 5G नेटवर्क और ऑटो-कंट्रोल ट्रैफिक सिस्टम के साथ चल रही है।

भारत-व्यापी अर्थव्यवस्था, सामाजिक और बड़ी तस्वीर

सुरक्षित-यातायात में सुधार

मानवीय गलती यातायात हादसों में एक बड़ी भूमिका निभाती है। ऑटोनोमस सिस्टम के सफल परिचालन से दुर्घटनाओं में कमी हो सकती है। यह इंडस्ट्री में एक प्रमुख बिक्री-वक्ता होगा।

आर्थिक अवसर

“मेक-इन-इंडिया” पहल के तहत ऑटोनोमस वाहन टेक्नोलॉजी, सेंसर्स, मैपिंग-डेटा, सेवाएं, फ्लीट-ऑपरेशन में रोजगार-वर्ग की संभावनाएं होंगी।

सामाजिक समावेशिता

वृद्ध, विकलांग या वाहन-ना-चालक लोग भी स्वचालित वाहन के माध्यम से स्वतंत्र गतिशीलता पा सकते हैं।

बदलाव-कारक

कार-मालिकाना मॉडल बदल सकता है — निजी वाहन-स्वामित्व की जगह साझा मोडल (रोबोटैक्सी, पब्लिक ऑटोनोमस सेवाएं) बढ़ सकती है।

विशेषज्ञों की राय

  • Wipro-IISc-RVCE-टीम की खबरें बताती हैं कि भारत के अनियमित सड़क-परिस्थितियों के लिए खास रूप से डिजाइन किया गया prototype तैयार हुआ है।
  • लेकिन ऑटोमोबाइल उद्योग-विश्लेषक यह बताते हैं कि जब तक भारत में लेन-मार्किंग, 5G/V2X नेटवर्क, स्मार्ट-सिग्नलिंग और क्लियर नियम-व्यवस्था नहीं बनेगी, driverless car का पूर्ण परिचालन कठिन रहेगा।
  • एक रिपोर्ट में यह अनुमान है कि भारत में ADAS-युक्त कारों का प्रसार अगले 2-3 वर्षों में तेज़ होगा, लेकिन पूर्ण ऑटोनोमी कुछ दशक बाद संभव है।

निष्कर्ष

भारत में driverless car सिर्फ एक तकनीकी सपना नहीं रह गई है, बल्कि अब उसकी दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि अभी हम उस मुकाम से काफी दूर हैं जहाँ बिना ड्राइवर वाला वाहन आम सड़कों पर आज-कल चल सके। टेक्नोलॉजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, नियम-व्यवस्था, सामाजिक स्वीकृति — सभी को साथ लेकर चलना होगा।
अगर हम अगले 10-15 वर्षों की अवधि में देखें, तो संभावना है कि भारत में रोबोटैक्सी, फ्लीट-स्वचालित वाहन और सीमित ज़ोन में ऑटोनोमस ड्राइविंग सामान्य हो जाएगी। निजी मालिकाना मॉडल वाला driverless car-परिषद उस समय तक शायद मंहगा विकल्प रहेगा।
इसलिए यदि आप आज कार खरीदने जा रहे हैं, तो समझ लें कि ADAS जैसे उन्नत सुरक्षा फीचर्स बेहतर विकल्प होंगे — पूर्ण driverless वाहन अभी अभी आम नहीं होंगे।


FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: driverless car और ADAS में क्या अंतर है?
A: ADAS (Advanced Driver Assistance Systems) वाहन चालक को समर्थन देने वाली तकनीकें हैं — जैसे लेन-कीप, आपात ब्रेकिंग, क्रूज कंट्रोल आदि। जबकि driverless car का मतलब है कि वाहन मानव-ड्राइवर के बिना खुद चल सके (लेवल 4-5 ऑटोमेशन)।

Q2: भारत में driverless car कब तक आम हो सकती है?
A: विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत में full driverless car के आम परिचालन में लगभग 10-15 वर्ष लग सकते हैं, क्योंकि टेक्नोलॉजी-और-इन्फ्रास्ट्रक्चर में काफी काम बाकी है।

Q3: भारत में driverless car क्यों अभी नहीं चल पा रही है?
A: मुख्य कारण हैं – अनियमित सड़क-परिस्थिति, ट्रैफिक व्यवहार, लेन-मार्किंग-और-स्मार्ट-इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव, नियम-व्यवस्था की तैयारी, टेक्नोलॉजी-कीमती होना।

Q4: क्या भारत में कोई prototype बन चुका है?
A: हाँ, विख्यात उदाहरण है Wipro-IISc-RVCE की “WIRIN” प्रोजेक्ट जो भारतीय ड्राइविंग-परिस्थितियों के अनुरूप driverless कार पर काम कर रही है।

Q5: यदि मैं आज कार खरीद रहा हूँ, तो क्या driverless फीचर प्राथमिकता होनी चाहिए?
A: आज के लिए बेहतर विकल्प होगा कि आप ADAS-युक्त कारों (उच्च सुरक्षा-फीचर के साथ) पर ध्यान दें। पूर्ण driverless कार अभी तक आम स्तर पर नहीं आई है, इसलिए जल्द-बाज़ी में उसके आधार पर निर्णय नहीं लेना सुरक्षित होगा।


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